कहा जाता है कि “जल है तो कल है”। सचमुच जल का संकट सीधे-सीधे जीवन पर संकट है। हमारी सारी मानव सभ्यता जल -स्त्रोतों के किनारे से ही विकसित हुई है। घूमंतू युग में भी मानव वहीं-वहीं बसें है जहां जल के भंडार है थे। इसलिए सभी तीर्थ और महासागर नदियों के तट पर बने। किन्तु हमारा दुर्भाग्य है, कि वर्तमान में जल स्रोत प्रदूषित हो गए हैं। जल-, प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है- जनसंख्या का बढ़ता दबाव और हमारी गैर जिम्मेदारी। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ हमारी आवश्यकताएं बढ़ती चली गई। हमने आधुनिक संसाधनों के निर्माण के लिए खतरनाक रसायनों का खुलकर उपयोग किया। हमने अपनी व्यावसायिक लाभ के लिए जान बूझकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, पहाड़ों को समतल करना, खतरनाक एवं रासायनिक कचरा डाल कर नदियों को अपवित्र करना। परिणाम यह हुआ कि पवित्र पावनी यमुना दिल्ली से आते-आते काली हो गई। हमारी सरकार और समाज ने नदियों को मां एवं देवी का दर्जा तो दिया किन्तु उसके अस्तित्व एवं स्वच्छता पर कोई ध्यान नहीं दिया। पशु-पक्षी प्यासे मरने लगे। धरती का जल स्तर घट गया और हम जल संकट में फंसते चले गये। यदि हमें जल संकट से निस्तार पाना है तो हमें जागरूक होना होगा, कठोर उपाय अपनाने होंगे प्रकृति के शोषण की बजाय उसकी गोद में बैठकर संरक्षण पाना होगा। वर्षा-जल को पुनः तालाबों, सरोवरों और जलागारों में संगृहीत करना होगा।
बच्चों ने जल की एक एक बूंद बचाने का लिया संकल्प
जल एक ऐसी बुनियादी आवश्यकता है जिसके बिना इस धरती पर मनुष्य तो क्या पेड़ पौधों और जीव जन्तु को भी जीवित रहने की कल्पना नहीं की जा सकती है।यह माना जा रहा है।कि आने वाले समय में भारत उन देशों में से एक होगा। जो जल संकट की भीषण विपदा से जूझ रहा होगा।
” जल ही जीवन है” सृष्टि का आरंभ जल से ही हुआ है। संसार के सभी प्राणियों के लिए जल आवश्यक है। जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव के जीवन के सभी दैनिक क्रियाओं, संस्कारों व कर्मकाण्डों में जल का विशेष महत्व है।
यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में जल प्रदायनी नदियों को मातृ स्वरूप पूजा जाता है। इन मातृ स्वरूपा नदियों गंगा, यमुना कृष्णा कावेरी, गोदावरी में विशेष अवसरों पर पवित्र स्नान का विशेष महत्व है। पंचतत्व आकाश, वायु, अग्नि,जल और पृथ्वी में जल अपनी विशिष्टता को व्यक्त करता है। जल के बिना संसार में जीवन की कल्पना असंभव है।
ग्रीन कमांडो विरेन्द्र सिंह ने बच्चों को दिलाई शपथ
विगत 20 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा रहे। बालोद जिले के दल्ली राजहरा में रहने वाले ग्रीन कमांडो के नाम से पूरे प्रदेश में जाने वाले विरेन्द्र सिंह ने ग्राम डुड़िया के छोटे छोटे बच्चों को जल की महत्ता बताते हुए कहा कि जल हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण व उपयोगी है जल का एक एक बूंद हमारे लिए अमृत के समान है जिसे बचाना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि आने भविष्य के लिए जल संकट की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
ग्रीन कमांडो विरेन्द्र सिंह को वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जल “स्टार” पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है।
अभी तक के अपने 20 वर्षों के सफर में विरेन्द्र ने छत्तीसगढ़ के जिलों में जन सहयोग द्वारा 35 तालाबों,2 कुड़ 1 नदी (तादुंला नदी) और कई नालों की सफाई करवाई है।
और यह सफर अभी भी जारी है। केवल बालोद या छत्तीसगढ़ को नहीं समस्त देशवासियों को जल योद्धा विरेन्द्र सिंह पर गर्व करना चाहिए।
विरेन्द्र सिंह को “जल योद्धा”, “जल स्टार”, और “ग्रीन कमांडो” ,”कोरोना योद्धा” के नाम से जाना जाता है।
जल संरक्षण, वन्य प्राणी संरक्षण,पाॅलिथीन मुक्ति, साक्षरता, महिला सशक्तिकरण इत्यादि क्षेत्रों में विवाह में जल जागरूकता की दिलचस्प कहानी है।
बालोद जिले के अन्तर्गत ग्राम डुड़िया में ग्रीन कमांडो विरेन्द्र सिंह,जल योद्धा,जल स्टार के नेतृत्व व मार्गदर्शन में ग्राम डुड़िया के जल पाठशाला में स्कुली शिक्षा के साथ-साथ जल शिक्षा भी दिया जा रहा है । लोगों को जल का महत्व बताने उन्होंने गांव के छोटे छोटे बच्चों व लोगों से जल की एक-एक बूंद बचाने व वर्षा जल संरक्षण, तालाबों, नदियों कुआं , हैंडपंप को हमेशा साफ रखने व वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए जागरूक व प्रेरित किया।
जिसमें ग्राम डुड़िया के जल योद्धा यशवंत कुमार टंडन, रोहित देवांगन,प्रियांचल टंडन, दामिनी टंडन, दीपिका देशलहरे, निकिता देशलहरे, निधि देशलहरे,सती देशलहरे सविता टंडन उपस्थित रहे।